Shivji ki Aarti: शिव शंकर जी की आरती, जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा
Shivji ki Aarti | भगवान शिवजी हिन्दू धर्म के सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय देवताओं में से एक है।माना जाता है कि भगवान शिवजी की थोड़ी सी ही पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट और मुश्किलों से छुटकारा मिल जाता है। भगवान शिव बहुत ही भोले देवता है जो कि भगत की थोड़ी सी ही पूजा करने से प्रसत्र हो जाते है। “ॐ जय शिव ओंकारा” भगवान शिव की सबसे प्रसिद्ध आरतियो में से एक है।
जिसे सुबह शाम भगवान शिवजी की आराधना करने के लिए गाया जाता है। यह लोकप्रिय आरती भगवान शिवजी से संबंधित अवसरों गाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिवजी की आरती सफ्ताहिक़ दिन सोमवार,त्रयोदशी दो प्रमुख शिवरात्रि और श्रावण माह में गाने से भगवान शिव अपने भक्तों से बहुत प्रसत्र होते है और भक्तों को भी विशेष फल की प्राप्ति होती है।
भगवान शिवजी की आरती की बात ही कुछ निराली है क्योंकि भगवान शिवजी की आरती करने पर जितनी ख़ुशी और आंनद भक्तों को मिलता है उतना ही आंनद भगवन शिव शंकर भी पाते है। शिव शंभू की भोलेनाथ की बात ही कुछ ऐसी है की उनकी आरती करने से ही उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है। भगवान शिवजी की आरती “ॐ जय शिव ओंकारा” की रचना “शिवानंद”जी के द्वारा की गई है। इस ब्लॉग में आपको सबसे पहले हिंदी में शिवजी की आरती “ॐ जय शिव ओंकारा” पड़ने को मिलेगी उसके बाद आपको आरती के फायदे और महत्व भी बताया जायेगा।
शिव जी की आरती (Shivji ki Aarti)
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ।।
ॐ जय शिव ओंकारा ।।
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसासन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ।।
ॐ जय शिव ओंकारा ।।
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ।।
ॐ जय शिव ओंकारा ।।
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी ।।
ॐ जय शिव ओंकारा ।।
श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे।।
ॐ जय शिव ओंकारा ।।
कर के मध्य कमण्डल चक्र त्रिशूल धारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी।।
ॐ जय शिव ओंकारा ।।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एक।।
ॐ जय शिव ओंकारा ।।
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी,शिवलहरी गंगा।।
ॐ जय शिव ओंकारा ।।
पर्वत सोहैं पार्वती,शंकर कैलासा ।
भांग धतूर का भोजन,भस्मी में वासा।।
ॐ जय शिव ओंकारा ।।
जटा में गंगा बहत है, गल मुंडन माला।
शेष नाग लिपटावत,ओढ़त मृगछाला।।
ॐ जय शिव ओंकारा ।।
काशी में विराजे विश्वनाथ,नंदी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत,महिमा अति भारी।।
ॐ जय शिव ओंकारा ।।
त्रिगुण स्वामी जी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी,मनवांछित फल पावे।।
ॐ जय शिव ओंकारा ।।
भगवान शिवजी की आरती का जाप करने के फ़ायदे (Benifits of Shivji ki Aarti)
- शास्त्रों में लिखा हुआ है की भगवान शिवजी की पूजा करने और शिवजी की आरती गाने से भक्तों को ज्यादा से ज्यादा पुण्य मिलते है जो कि सिर्फ अनके तरह के दान और हवन के द्वारा प्राप्त होते है।
- भगवान नियमित पूजा करने से हर तरह की मुश्किल दूर होती है और आपके प्रयासों में सफलता मिलती है।
- शिवजी की आरती का रोज गायन करने से आपके पापों को क्षमा मिलती है और आपको जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है।
- हर रोज शिवजी की आरती करने से बुरी ऊर्जा,तंत्र,मंत्र,अहंकार,क्रोध और मृत्यु के ड़र से मुक्ति मिलती है।
- शिवजी भगवान की आरती का पाठ करने से आप विनाश और मृत्यु का कारण बनने वाली बुरी शक्तियों से बच जाते है।
- यदि कोई महिला,कन्या प्रतिदिन भगवान शंकर की आरती करती है उसे शम्भुनाथ जैसा पति मिलता है। अगर कोई ॐ जय शिव ओंकारा या हर हर महादेव आरती रोज गाता है,तो उनका वैवाहिक जीवन खुशियों से भर जाता है।
- हर हर महादेव गाकर भगवान शिवजी की पुजा करने से आपको ज्ञान,समृद्धि,धन,अच्छी सेहत और दुनिया की हर ख़ुशी मिलती है।
- भोलेनाथ शंकर की आरती गाकर व्यक्ति मानसिक,शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से अपना कल्याण कर सकता है।
भगवान शिव शंकर की पूजा कैसे करे
भगवान शिवजी की पूजा और आरती करने से पहले स्नान जरूर करें। स्नान करने के बाद भगवान की मूर्ति के सामने बैठ कर घी का दीपक जलाकर,फिर आप शिव आरती का गायन कर सकते है। सोमवार और श्रावण माह में शिव पूजा का विशेष महत्व है। हर हर महादेव जय जय शिव शंकर। ॐ नमः शिवाय।